"मेरे बच्चे से जुड़ी पहली यादें चैलेंज"
- Arti Shrivastava
- Jul 16, 2020
- 2 min read
Updated: Jul 17, 2020
हमें यह बताते हुए काफी गर्व महसूस हो रहा है कि आरती ने मॉम्सप्रेस्सो के ‘मेरे बच्चे से जुड़ी पहली यादें चैलेंज' में हिस्सा लिया था। इस प्रतिस्पर्धा में अपने बच्चों से जुड़ी किन्ही ३ यादों को साँझा करना था। इस प्रतियोगिता के विजेता होने के एवज़ में आरती को मॉम्सप्रेस्सो के सीईओ तथा हिंदी एडिटर से प्रशंसा पत्र से नवाज़ा है।

हम अगले तीन दिनों में आपके साथ तीन यादें साँझा करेंगे। प्रस्तुत है आज पहली भेंट :
"रोटियों का पेड़"
मेरा बेटा अब चार वर्ष का हो चुका था। अपनी उम्र के बच्चों से काफी अलग था वो। हमेशा शांत और गुमसुम सा रहता था। उससे उलट, उसकी बड़ी बहन काफी चुलबुली और मिलनसार थी। मुझे बेटे की बहुत फिक्र रहती थी, उसका ना ही कोई दोस्त था और न कोई शरारतें। सिर्फ मुझसे ही बातें किया करता था वो। दूसरे बच्चों को देख मेरी भी इच्छा होती थी कि मेरा बेटा भी लोगों से बातें करे, उनसे घुले-मिले, परन्तु ऐसा भी लगता था कि ये इच्छाएं बस दिल में ही दबी रह जाएँगी।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमारी कॉलोनी में कविता-पाठ की प्रतियोगिता आयोजित होने वाली थी। शुरुआती दिनों से ही मुझे हिंदी में लिखने-पढ़ाने का बहुत शौक था। इस प्रतियोगिता का मनन करते मुझे एक तरकीब सूझी।
मेरे बेटे को आम से बड़ा लगाव था, भला फलों के राजा का कौन दीवना नहीं होगा। मैंने बेटे के साथ मिलकर कविता-पाठ में भाग लेने का निर्णय किया। जब उसे पता चला कि हम आम पर कविता पढ़ने वाले हैं तो उसके उत्साह कि कोई सीमा नहीं रही। अपने बेटे को किसी विषय में इतना चाव लेते देख मेरे अंदर का भी बच्चा जग उठा। खूब चुहलबाजियाँ करते हुए दिन बीता और कविता उसे याद हो गई।
कविता-पाठ का दिन आ गया था। उस प्रतियोगिता में मेरा बेटा सबसे निचली उम्र सीमा वाले वर्ग में भाग ले रहा था। उस समूह में भी वह सबसे छोटा था।
दर्शक-दीर्घा में सबसे पीछे खड़ी मैं सिर्फ अपने बेटे को निहार रही थी। उस कुर्ते में वो किसी नवाब से कम नहीं लग रहा था। उसे दूसरे बच्चों के बीच खिलखिलाते देख मानो मेरी सारी बलाएँ दूर हो गई थी।
अब उसकी बारी थी। मैं सांसे थामे इस पल का इंतजार कर रही थी। तोतले स्वर में उसने कहा -
"चीकू बड़ा प्यारा, माँ का दुलारा,
कोई कहे चाँद कोई आँख का तारा,
एक दिन वो माँ से बोला,
क्यों फूँकती हो चूल्हा,
क्यों करती हो रोज झमेला,
क्यों न हम रोटियों का पेड़ लगा लें,
आम तोड़े, रोटी तोड़े,
रोटी आम खा लें,
माँ को आई हँसी, हँसकर वो बोली,
जियो मेरे लाल, जियो मेरे लाल"
मैं तो कविता समाप्त होने से पहले ही ताली बजाने लगी थी। तालियों कि गड़गड़ाहट से पूरा समां गूँज उठा। मेरी खुशियों के झरने आँखों से अश्रु बनकर बह निकले। बेटे को प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाजा गया। एक हीं दिन में वो बहुत खुशमिजाज और मिलनसार बन गया।
आगे चलकर उसने ढेरों प्रतियोगितायें और पुरस्कार जीते,परन्तु यह प्रोत्साहन पुरस्कार हमारे दिल के सबसे करीब है।
उसका पहला पुरस्कार और मेरे लिए जिंदगी का अनमोल तोहफा।

मिलते हैं कल दूसरी याद के साथ।
# motivation # parenting
अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद
बहुत सुंदर कहानी। हरेक माँ बाप के लिए प्रेरणादायक।
बहुत सुन्दर रचना है। ऐसे हीं आगे भी लिखती रहो।
bahut hi achchi kahaani hai....padh kar bilkul aisa laga jaise main koi chiku ki recording dekh raha hun.... 😃♥️